आधुनिक hurry worry और curry से भरपूर जीवन शैली और बढ़ता हुआ मानसिक भावनात्मक तनाव लगातार बीमारियों के incidence और prevalence को बढ़ा रहा है । विश्व के सभी देशों की सरकार बढ़ते हुए बीमारियों के आंकड़ों से चिंतित है और लगातार मेडिकल बजट बढ़ाने के बावजूद नए-नए मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल खोलने के बावजूद लोगों को स्वस्थ रख पाना उनके लिए Challenge बन गया है । बढ़ती बीमारियों की वजह से मेडिकल बजट का खर्च हर साल बढ़ रहा है और दूसरी तरह लोगों की प्रोफेशनल Productivity and efficiency भी लगातार घट रही है । दिन प्रतिदिन कोई न कोई नई बीमारी देखने को मिल रही है और डॉक्टर ,मेडिकल स्टाफ भी overload की वजह से शारीरिक एवं मानसिक बीमारियों का शिकार हो रहे हैं। ऐसे में present के Health Care System मे reformation की जरूरत महसूस की जा रही है और भारत ही एकमात्र ऐसा देश हो सकता है जो एक नया हेल्थ केयर मॉडल develop कर सकता है ।क्योंकि भारत के पास उसका प्राचीन वैदिक चिकित्सा विज्ञान, आयुर्वेद योग ,चक्र विज्ञान ,ध्यान का विज्ञान का खजाना है ।जरूरत है इस प्राचीन विद्या को नए तरीके से नए समय के हिसाब से मॉडर्न मेडिकल सिस्टम के साथ जोड़कर एक नया हेल्थ केयर सिस्टम develop करने की। मैंने अपने 28 वर्षों के मेडिकल साइंस के अनुभव से इस बात को जाना कि जहां बात आती है disease के diagnosis की और acute management की तो Allopathy Science is one of the best science परंतु जहां बीमारियों के prevention एवं बीमारियों के reversal की बात आती है तो मेडिकल साइंस के पास कोई solution नहीं है और यह ही मेडिकल साइंस की सबसे बड़ी कमियां है हमें मेडिकल साइंस की कमियों को पूरा करने के लिए इसमें add on करना होगा हमारे प्राचीन चिकित्सा विज्ञान, वैदिक विज्ञान को जो की बीमारियों से ज्यादा स्वास्थ्य का विज्ञान है।Integration की जरूरत है disease साइंस का हेल्थ साइंस के साथ क्योंकि बीमारियां लाखों में है और हेल्थ या स्वास्थ्य केवल एक है । अगर स्वास्थ्य पर काम किया जाए तो बीमारियों पर कम काम करना पड़ेगा लेकिन यहां पर कुछ challenge भी आते हैं जिसे समझना होगा –